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Saturday, 22 April 2017

क्या आपको पता है भारत के राष्ट्रपति के पद त्याग की प्रक्रिया क्या है ? GKtree


दोस्तो आज हम बात करेंगे भारत के राष्ट्रपति पद की। हम बात करेंगे की ऐसी क्या क्या कारण / तरकीब हैं जिनके अनुसार भारत के राष्ट्रपति (Bharat ke rashtrapati ) को पद को त्यागना पड़ सकता है।

Bharat ke rashtrapati


सबसे पहले तो ये जानिए की भारत का राष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 56 के अनुसार होता है। तो यह काफी महत्वपूर्ण बिंदु है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल शपथ लेने के दिन से 5 वर्ष का होता है। और जब तक नया राष्ट्रपति शपथ न लेले तब तक पुराना राष्ट्रपति ही अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता रहेगा।
अब जानेंगे के ऐसे क्या कारण हो सकते हैं जिनके वजह से एक राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा न कर पाए :
1. अपनी इच्छा के अनुसार राष्ट्रपति त्यागपत्र दे सकते हैं।
2. अचानक मृत्यु की वजह से भी पद खाली हो सकता है।
3. अभियोग की प्रक्रिया द्वारा। ये प्रक्रिया अभी तक भारत के किसी भी राष्ट्रपति पर इस्तेमाल नहीं की गयी है। ये ऐसी प्रक्रिया है कि इसके सफल होने पर राष्ट्रपति को पद छोड़ना ही होगा।
अब जानेंगे की क्या होती है अभियोग की प्रक्रिया? इस प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 61 में किया गया है। ये प्रक्रिया तब ही आरम्भ हो सकती है जब राष्ट्रपति ने पद पर रहते हुए संविधान का उल्लंघन / कोई बड़ा जुर्म किया हो या फिर कहिये पद का दुरुपयोग हुआ हो।
तो अब जानेंगे की अभियोग कैसे चलता है?
अभियोग का प्रस्ताव लोकसभा व राज्यसभा दोनों में से कोई भी सदन ला सकता है। प्रस्ताव को संसद में लाने से पहले जो सदन प्रस्ताव ला रहा है उसे अपने सदन के 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति को सूचना देनी होती है। राष्ट्रपति को यह नोटिस 14 दिन के लिए दिया जाता है। उसके बाद उस सदन को अपने 2 / 3 हस्ताक्षर करके प्रस्ताव दूसरे सदन को देना होता है जो उल्लंघन पर जाँच करेगा।
यह ऐसे होता है अगर आरोप प्रस्ताव  राज्यसभा ने लगाया है तो लोकसभा आरोप पर जाँच करेगी और यदि आरोप लोकसभा ने लगाया है राज्यसभा उस पर जांचपड़ताल करेगी। राष्ट्रपति को अपनी सफाई देने का अधिकार दिया जाता है। वह अपनी सफाई खुद भी दे सकता है या फिर अपनी सफाई किसी और से भी दिलवा सकता है।  उसके बाद कार्यवाई चलती हैं फिर जो सदन जाँच कर रहा होता है उसमे वोटिंग होती है और फिर यदि दूसरा सदन भी 2/3 से प्रस्ताव को पास कर देता है तो अभियोग सफल माना जाता है। और फिर राष्ट्रपति को पद त्याग करना ही पड़ेगा। ये प्रक्रिया अभी तक हमारे देश में किसी भी राष्ट्रपति पर नहीं चली है।
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