दोस्तो आज हमारी चर्चा का विषय है परम वीर चक्र। परमवीर चक्र हमारे देश में भारत रत्न के बाद मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इस आर्टिकल में मेजर सोमनाथ शर्मा पर भी चर्चा की गयी है। परमवीर चक्र कब से मिलने लगा और सबसे पहले किसे दिया गया हम इस पर भी बात करेंगे।
दोस्तो परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। यह दुश्मन की उपस्थिति के दौरान अद्भुत शूरवीरता व त्याग के प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। इसकी स्थापना भारत के गणतंत्र बनने के साथ ही 26 जनवरी 1950 को हो गयी थी। सबसे पहला परम वीर चक्र मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत दिया गया क्योंकि वह 03 नवम्बर 1947 को अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन करते हुए शहीद हो गए थे। मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म जम्मू कश्मीर के काँगड़ा जिले में 31 जनवरी 1923 को हुआ था। 22 फरवरी 1942 को अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वह कमीशंड ऑफिसर के तौर पर भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट में शामिल हो गए। उसके बाद वह द्वितीय विश्व युद्ध में भी शामिल हुए। और उसके बाद भारत पाकिस्तान की लड़ाई में। ये मुख्य युद्ध के तौर पर उन्होंने 2 बड़ी जंगे लड़ी।
आइए जानते हैं की उस दिन हुआ क्या था ?
3 नवम्बर 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा की टुकड़ी को कश्मीर घाटी के बदगाम मोर्चे पर जाने का हुकुम दिया गया। 3 नवम्बर को प्रकाश की पहली किरण फूटने से पहले मेजर सोमनाथ बदगाम जा पहुँचे और उत्तरी दिशा में उन्होंने दिन के 11 बजे तक अपनी टुकड़ी तैनात कर दी। तभी दुश्मन की क़रीब 500 लोगों की सेना ने उनकी टुकड़ी को तीन तरफ से घेरकर हमला किया और भारी गोला बारी से सोमनाथ के सैनिक हताहत होने लगे। अपनी दक्षता का परिचय देते हुए सोमनाथ ने अपने सैनिकों के साथ गोलियां बरसाते हुए दुश्मन को बढ़ने से रोके रखा। इस दौरान उन्होंने खुद को दुश्मन की गोली बारी के बीच बराबर खतरे में डाला और कपड़े की पट्टियों की मदद से हवाई जहाज को ठीक लक्ष्य की ओर पहुँचने में मदद की।
उनके इन साहसिक कदमों की वजह से उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से नवाजा गया। भारत सरकार ने 2003 में मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर 5 रुपए का डाक टिकिट भी जारी किया।
आज के आर्टिकल में इतना ही। पढ़ने के लिए शुक्रिया।
Very nice sir thanku....
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